साल 2005 से ही हल्के फुल्के ढंग से शानदार मनोरंजन करवाते सार्थक नाटकों का
महोत्सव लेकर आता है रंगमंच की दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम ‘नटसम्राट’। इस वर्ष भी राजधानी दिल्ली के
मंडी हाउस स्थित एलटीजी सभागार में विश्व का सर्वाधिक पढ़े जानेवाले अखबार ‘दैनिक जागरण’ की मीडिया पार्टनरशिप में ‘आठवां नट सम्राट नाट्य उत्सव’ में मंचित 12 नाटकों को देखने
के लिए दर्शक उमड़ पड़े।
26 से 29 जनवरी और 3 से 5 फरवरी तक चले इस
नाट्य उत्सव के अंतिम दिन तो जे.पी. सिंह निर्देशित नाटक ‘दारोगा
जी चोरी हो गई’ को
देखने का दर्शकों में इस कदर उत्साह था कि सीटें सीमित होने के बावजूद लोग खड़े होकर भी नाटक देखने के लिए राजी थे।
कल्लू नाई ने हंसाया और गोदान
ने पलकें भिगो दीं
मौलियर लिखित नाटक ‘कल्लू नाई एमबीबीएस’ नटसम्राट ग्रुप के उन नाटकों में शुमार है, जिसके पहले सीन
से लेकर आखिरी तक दर्शक लोट-पोट होते रहते हैं। फरीद अहमद के शानदार अभिनय से सजे
इस नाटक को देख हर उम्र के दर्शक पेट पकड़कर हंसते दिखाई दिए। मुंशी प्रेमचंद का
उपन्यास ‘गोदान’ ग्रामीण किसान होरी के सपनों
आकांक्षाओं और सामाजिक ताने-बाने के साथ किसानों की बेबसी की भी बेबाक कहानी है।
चित्रा सिंह के निर्देशन में एक्सप्रेशन थिएटर क्लब, साहिबाबाद के कलाकारों ने
अपने सधे हुए अभिनय से दर्शकों की पलकें भिगो दीं। नाटक को देखने के लिए
डीयू, जेएनयू सहित कई शिक्षा संस्थानों के छात्र व प्राध्यापक पहुंचे।
हम तुम में दिखा बुजुर्गों का
अकेलापन
सुरेश भारद्वाज के निर्देशन में 4 फरवरी को अक्स थिएटर ग्रुप,दिल्ली की
प्रस्तुति ‘हम
तुम’ में केवल दो ही
किरदारों के माध्यम से दो बुजुर्गों के अकेलेपन और एक दूसरे को प्रेरित करते हुए
बची हुई जिंदगी को जीने की ललक को सार्थक ढंग से प्रस्तुत किया गया। बोलती
दीवारें, खामोश अदालत जारी है, अंबेडकर और गांधी को भी नाटय समारोह में भरपूर
सराहना मिली। कल्लू नाई एमबीबीएस के बाद एलटीजी सभागार में इस नाटय उत्सव में
सबसे ज्यादा ठहाके किसी
नाट्य प्रस्तुति में लगे तो वह था नाटक ‘चंदू की चाची’।
खली नट सम्राट ग्रुप के अपने
नाटकों की कमी
नट सम्राट ग्रुप हास्य रस से भरपूर सार्थक संदेश देते हल्के-फुल्के नाटकों
के लिए रंगमंच के क्षेत्र में पहचान रखता है। पिछले वर्ष जहां इस ग्रुप के अपने
तीन नाटकों का मंचन हुआ। वहीं इस फेस्टिवल में 12 में से मात्र 2 ही नाटक नटसम्राट
के अपने प्रोडक्शन थे। हालांकि नटसम्राट ग्रुप के निदेशक और प्रसिद्ध रंगकर्मी श्याम
कुमार का तर्क है कि फेस्टिवल में यदि अन्य संस्थाओं की बेहतरीन प्रस्तुतियों
को भी शामिल किया जाए, तो
नाट्य महोत्सव का दायरा और भी विस्तत हो जाता है। हर रूचि
के दर्शकों के लिए विकल्प मौजूद होते हैं। ऐसा वरिष्ठ रंगकर्मियों की सलाह पर ही
किया गया है।
प्लेटफॉर्म थिएटर का रहा आकर्षण
उभरते नाटय ग्रुपों को मौका देने के उददेश्य से नाटकों के मंचन से पूर्व
सभागार के कॉम्पलेक्स में आधे धंटे की अवधि के लघु नाटकों का मंचन भी देखने
लायक रहा। शादी की बात,डाल डाल पात पात,भ्रष्टाचारी,ऐसा भी होता है,प्रपोजल,खट खट
खटाओ बैल बजाओ जैसी लघु नाटय प्रस्तुतियां भी शानदार रहीं।
रंगमंच से जुडी हस्तियां भी हुईं सम्मानित
नाटय महोत्सव के दौरान ‘चौथा नटसम्राट थिएटर अवॉर्ड’भी रंगमंच की दुनिया की प्रमुख शख्सियतों को प्रसिद्ध नृत्यांगना शोवना नारायण ने दिया।
अवॉर्ड पाने वाले प्रमुख नाम रहे:
सर्वश्रेष्ठ निदेशक: भानु भारती
सर्वश्रेष्ठ लेखक: असगर वजाहत
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता: सीता राम सिंह
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: हेमा सिंह
सर्वश्रेष्ठ बैक स्टेज(लाइट डिजाइनिंग):आर के ढींगरा
सर्वश्रेष्ठ आलोचक: संगम पांडेय
लाइफ टाइम अचीवमेंट: रेओती शरण शर्मा
नाट्य उत्सव के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंमुनमुन भैया कलम घिस्सी की ओर से भी नाट्य उत्सव के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएंbest wishes.
जवाब देंहटाएंbest wishes.
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