यूपी के चुनावी नतीजों ने साल 1993 में रिलीज हुई
गोविंदा और जूही चावला की फिल्म ‘भाभी’ के उस मशहूर गीत ‘चांदी की साइकिल,सोने की सीट,आओ चलें डार्लिंग चलें डबल
सीट...' की यादें एक बार फिर से ताजा कर दी। आज के जेट युग में जहां हवा से बातें
करतीं मोटरबाइकों की बातें ही ज्यादा होती हैं,ऐसे में पिछले दो दिनों से चर्चा
में है तो सिर्फ और सिर्फ साइकिल। चर्चा हो भी क्यों न, समाजवादी पार्टी, जिसका
चुनाव चिन्ह साइकिल है,उसने अपने पैडल से ऐसी फर्राटा भरी कि हाथी अपनी मस्त चाल
के अभिमान में झूमता रहा,हाथ हवा-हवाई हो गया और कमल की तो जैसे पत्तियां ही बिखर
गईं।
साइकिल पर सवार मुलायम सिंह और उनके युवराज अखिलेश
यकीनन जीत की इस खुशी पर फूले नहीं समा रहे। उनकी होली दो दिन पहले ही शुरू हो गई।
हालांकि, यह भी सच है कि यूपी की उबड़-खाबड़ सड़कों पर उन्हें बड़े संभल कर अपनी
साइकिल चलानी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि यह यूपी की वही आवाम है,जिसने साल 2007 में
हाथी को साइकिल के ऊपर बिठा सबको चौंका दिया था। मगर जब यही हाथी जनता की नब्ज को
नहीं पकड़ पाया,तो 2012 में उसकी हुंकार शायद गले में ही फंस कर रह गई। मुलायम की
चांदी की यह साइकिल(पूर्ण बहुमत वाली) जो सोने की सीट(अखिलेश जैसा युवा नेता) से
सुसज्जित है वह यूं ही अपनी रफ़तार से चलती रहे,इसके लिए जरूरी है कि मुलायम एंड
कंपनी जनता के जख्मों पर मरहम लगाए। उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरे। उत्तर प्रदेश
को वास्तव में उत्तम प्रदेश बनाने के लिए सार्थक प्रयास करे। सत्ता के मद में लोगों
की जरूरतों को अनदेखा न करे।
मुलायम को भूलना नहीं चाहिए कि यूपी की पिछली सरकार ‘सर्वजन हिताय,सर्वजन सुखाय’की बात करती थी,मगर यदि अधिकांश
जनता वास्तव में ‘मायाराज’ में सुखी होती,तो उसे बढ़े वोट
के उस ‘अंडर करंट’ का इतना जोरदार झटका कभी नहीं
लगता,जिसकी आहट बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमा भी चुनाव के दौरान पहचान नही पाए थे।
इसीलिए मुलायम यदि फिल्म ‘भाभी’ के इस गीत को सदा गुनगुनाते
रहना चाहते हैं,तो उनको वास्तव में ‘डबल सीट’ चलना होगा, यह गाते हुए ‘चांदी की साइकिल,सोने की सीट। आओ चलें पब्लिक चलें डबल
सीट...’
इलस्ट्रेशन साभार: द टाईम्स ऑफ इंडिया
जबरदस्त और मस्त लेख...
जवाब देंहटाएंYe hai jalwa cycle ka...
जवाब देंहटाएंcycle janta ke hit mein chalni chahiye................
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