सीबी सीरीज में अब तक बल्ले से वीरेंद्र सहवाग भले ही महज
30 रन बना पाए हों,लेकिन ब्रिस्बेन में भारत और श्रीलंका के बीच हुए मुकाबले में
हार के बाद मंगलवार को प्रेस वार्ता में उन्होंने जो कुछ भी कहा वह थोथा चना बाजे
घना से ज्यादा कुछ नहीं था। बेशक वे इस मैच में धौनी की जगह भारतीय टीम की कप्तानी
कर रहे थे और उन पर टीम को जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी थी। हालांकि जिस तरह
गैर जिम्मेदाराना शॉट खेलकर वह चलते बने उससे यह साफ है कि सहवाग में शायद अब वह
आग नहीं रही जिसने उन्हें एक समय ‘मुल्तान का सुल्तान’का खिताब दिलाया था।

निश्चित रूप से सचिन अब उम्र के उस पड़ाव की तरफ बढ़ रहे
हैं,जहां फिटनेस खिलाडि़यों की समस्या बन जाती है और वे सन्यास की बात सोचने
लगते हैं। भारतीय टीम को पहला विश्वकप दिलवाने वाले कपिल देव का यह कहना कि सचिन
को विश्वकप के बाद ही सन्यास ले लेना चाहिए था। यह यूं ही नहीं है। इसमें छिपे
निहितार्थ को समझना होगा। टीम में धौनी एंड कंपनी शायद यह नहीं चाहती कि अब सचिन
ज्यादा दिन तक खेलें। परंतु भारतीय क्रिकेट में सचिन के योगदान को देखते हुए शायद
ही कोई सीधे सीधे उनकी आलोचना करे। वैसे भी, सचिन बातों से नहीं बल्ले से जवाब
देने में यकीन रखते हैं। वे यह जानते हैं कि भले ही कुछ लोग उनको साइड लाइन करने
की साजिश कर रहे हों, लेकिन वे इन सब बातों पर ध्यान दिए बिना केवल अपने खेल पर
ध्यान दे रहे हैं। सीबी सीरीज के शेष मैचों में क्रिकेट के हर दीवाने को यह आशा
ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि सचिन एक बार फिर जोरदार वापसी करेंगे।
आमीन...
जवाब देंहटाएंसार्थक लेख.....
जवाब देंहटाएंBilkul satik andaza lagaya hai apne India k team ki current condition ka
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